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कोलारस नगरपालिका में राजनैतिक खींचतान से जनता की अनदेखी: विकास कार्य ठप, कर्मचारी आतंकित

पिछले तीन कार्यकाल से मात्र दो ठेकेदार ही टेंडर पाने में सफल कैसे ?

कोलारस नगरपालिका में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। नगरवासी, जिन्होंने युवा और उत्साही प्रियंका शिवहरे को अध्यक्ष के रूप में चुनकर विकास की उम्मीदें लगाई थीं, अब निराशा में डूबे हुए हैं। वर्तमान अध्यक्ष प्रियंका शिवहरे और पूर्व अध्यक्ष, उनके चाचा के बीच बढ़ते तनाव ने नगर के विकास और प्रशासनिक कार्यों को पूरी तरह ठप कर दिया है झगड़े की वजह है पिछले तीन कार्यकाल से पूर्व अध्यक्ष के चहेते को निर्माण में टेंडर मिलना , जबकि नव निर्वाचित अध्यक्ष नए ठेकेदार को गुणवत्ता के आधार पर जिम्मेदारी देना चाहती हैं लेकिन

चाचा-भतीजे की खींचतान से रुका विकास

-कोलारस नगर के लिए यह समय दुर्भाग्यपूर्ण साबित हो रहा है। चाचा-भतीजे के बीच चल रही संपत्ति और राजनीतिक शक्ति की लड़ाई का सीधा असर शहर के विकास कार्यों पर पड़ा है। वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष प्रियंका शिवहरे ने कोलारस आना बंद कर दिया है, जिससे नगर में किसी भी तरह के निर्णय और विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। वार्ड क्रमांक 11, 6, 9, और 5 के चुने गए प्रतिनिधि गहरे असंतोष में हैं। दो साल गुजर जाने के बावजूद नगर में न तो कोई नई योजना स्वीकृत हो पाई है और न ही नगर पालिका की नियमित बैठकें हो रही हैं।

कर्मचारियों पर बढ़ रहा दबाव

इस राजनीतिक संघर्ष का सबसे बड़ा खामियाजा नगर पालिका के कर्मचारियों और अधिकारियों को भुगतना पड़ रहा है। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष, जिनका अब भी राजनीतिक पहुंच है, खुलेआम नगरपालिका के CMO (मुख्य नगरपालिका अधिकारी) को धमकाने लगे हैं। हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई जब पूर्व अध्यक्ष के करीबियों द्वारा CMO को सरेआम अपशब्द कहे गए और उन्हें काम करने से रोका गया।नगरपालिका के कर्मचारियों पर बढ़ते दबाव और धमकियों के चलते वे मानसिक तनाव में हैं और नगर के विकास कार्यों पर इसका गहरा असर हो रहा है। डंडे का दम दिखाते हुए मदारी की तरह कर्मचारी सिर्फ आदेशों को मानने के लिए मजबूर हैं, जबकि आम जनता के काम ठप पड़े हुए हैं।जनता की उम्मीदें टूटीं, नगर बेहालकोलारस के निवासी, जिन्होंने विकास की नई किरण देखी थी, अब अपनी उम्मीदें खो चुके हैं। नगर में सफाई व्यवस्था चरमरा चुकी है, जल आपूर्ति में रुकावटें हैं, और सड़कें खस्ताहाल हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें अपने छोटे-छोटे कामों के लिए भी नगर पालिका के चक्कर काटने पड़ते हैं, परंतु कोई सुनवाई नहीं हो रही।यह समय कोलारस नगर के लिए बेहद नाजुक है। अगर जल्द ही इस राजनीतिक खींचतान का हल नहीं निकला, तो नगर और अधिक पिछड़ जाएगा।

Mukesh Singh

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