Breaking News

रन्नौद: जुआ-सट्टा के महासागर में गोते लगाती कानून व्यवस्था!

पुलिस और जुआ, सट्टा माफियाओं की दोस्ती की चर्चा जोरो पर

गुरप्रताप सिंह गिल
रन्नौद क्षेत्र में जुआ और सट्टे का खेल इस कदर परवान चढ़ चुका है कि अब इसे देखने के लिए विशेष चश्मा लगाने की जरूरत नहीं। बस स्टैंड क्षेत्र तो मानो इस खेल का वर्ल्ड कप स्टेडियम बन चुका है, जहां दिन-रात “खेल प्रेमी” अंकों और पत्तों के जादू में डूबे रहते हैं।

कहते हैं, जिले के कप्तान अवैध कारोबार पर लगाम कसने में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन लगता है कि यह लगाम इतनी ढीली हो गई है कि सटोरियों और जुआरियों ने इसे झूले में तब्दील कर दिया है। पुलिस, जो इस खेल की दर्शक दीर्घा में वीआईपी सीट पर विराजमान लगती है, मूकदर्शक की भूमिका में इतनी रम गई है कि इसे अब “सम्मानित अतिथि” का दर्जा दे देना चाहिए।

पुलिस के लिए “सुविधा शुल्क”, कार्यवाही से पहले “फोन सुविधा”!

सूत्र बताते हैं कि सट्टा माफियाओं और पुलिस के बीच इतनी गहरी दोस्ती हो चुकी है कि महीने की 25 तारीख आते ही 25,000 रुपये “सुविधा शुल्क” के रूप में पुलिस को भेंट कर दिए जाते हैं। यह डील इतनी शानदार है कि कार्यवाही से पहले माफियाओं को फोन करके अलर्ट करने की विशेष सेवा भी प्रदान की जाती है!

अब इसे पुलिस की दरियादिली कहें या “समझदारी”, लेकिन इतना तय है कि जब तक यह “गुप्त समझौता” चलता रहेगा, तब तक रन्नौद में सट्टा का बाजार फलता-फूलता रहेगा।

सट्टे के सौदागरों ने भी टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल करते हुए इसे ऑनलाइन कर दिया है। अब 1 के 80 का खेल इतना उदार हो गया है कि 1 के 90 तक पहुंच गया है, ताकि नए “खिलाड़ियों” को आकर्षित किया जा सके। सट्टे की इस “समृद्धि योजना” ने क्षेत्र के युवाओं को ऐसा जकड़ लिया है कि अब वे अपना भविष्य अंकों में ही गिनने लगे हैं।

नगर परिषद मुख्यालय पर जुए के फड़ ऐसे सजते हैं मानो कोई उत्सव चल रहा हो। दिन-दोपहर छतों पर फड़ इस अंदाज में खिलते हैं जैसे कोई बाग-बगीचा हो! आसपास के गांवों ने भी इस खेल को खुले दिल से अपनाया है, और सट्टे की ये बेल इतनी तेजी से बढ़ रही है कि इसे अब “क्षेत्र की आर्थिक रीढ़” कहा जाना चाहिए।

स्थिति यह हो गई है कि अगर जल्द ही इस “महान खेल आयोजन” पर रोक नहीं लगी, तो शायद आने वाले समय में यहां “रन्नौद सट्टा प्रीमियर लीग” का आयोजन भी होने लगे! पुलिस प्रशासन से अनुरोध है कि या तो इस खेल को आधिकारिक रूप से मान्यता दे दे, या फिर सच में कुछ कार्रवाई कर ले—वरना क्षेत्र के युवा खिलाड़ी अपनी किस्मत की बाजी लगाते रहेंगे और कानून व्यवस्था मूकदर्शक बनी रह जाएगी!

Mukesh Singh

Related Articles

Back to top button