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कागज़ी तहसील, कागज़ी विकास: रन्नौद के लोगों को कब मिलेगा न्याय?

मूलभूत सुविधाओं को तरसते नागरिकों का टूट रहा सब्र

गुरुप्रताप सिंह गिल
रन्नौद: तहसील का दर्जा प्राप्त करने के बावजूद रन्नौद कस्बा बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। वर्षों से लंबित यात्री प्रतीक्षालय की मांग आज भी अधूरी है, जिससे जनता में भारी आक्रोश है। स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी इस गंभीर समस्या की अनदेखी कर रहे हैं, जिससे रन्नौदवासियों को घोर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

जनता के आक्रोश की गूंज:
रन्नौद के नागरिकों का कहना है कि तहसील बनने के बावजूद कस्बे में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ। यात्री प्रतीक्षालय जैसी मूलभूत सुविधा तक उपलब्ध नहीं है, जिससे यात्रियों को धूप, बारिश और ठंड में खुले आसमान के नीचे खड़ा रहना पड़ता है। “अगर यह तहसील है, तो फिर सुविधाएं कहां हैं?” एक स्थानीय निवासी ने गुस्से में सवाल किया।

डबल इंजन सरकार के बावजूद ठप विकास
स्थानीय नेता चुनावी मंचों पर ‘डबल इंजन सरकार’ की दुहाई देते नहीं थकते, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि विकास कार्य कहीं दिखाई नहीं देते। जनता ने आशा की थी कि तहसील बनने के बाद क्षेत्र में विकास की लहर दौड़ेगी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

क्या प्रशासन की नींद टूटेगी?
जनता का धैर्य अब जवाब देने लगा है। स्थानीय लोग चेतावनी दे रहे हैं कि यदि जल्द ही यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे। रन्नौद की जनता ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अंतिम चेतावनी दी है—या तो वादे पूरे करें या जनता के गुस्से के लिए तैयार रहें।

अब सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन की नींद टूटेगी, या फिर रन्नौदवासी यूं ही सुविधाओं के लिए तरसते रहेंगे?

Mukesh Singh

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