
रन्नौद की ‘नगर पालिका’: शिवराज का सपना, भ्रष्टाचार का खेल!
हर वार्ड मैं समस्याओं का अंबार,पार्षद नाराज
गुरप्रताप सिंह गिल
रन्नौद, जिसे कभी मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नगर पालिका का दर्जा देकर विकास की नई राह पर आगे बढ़ाने का सपना देखा था, आज भ्रष्टाचार की दीमक का निवाला बन चुका है। भारी-भरकम फंड से तैयार किया गया नगर पंचायत का नक्शा अब धूल फांक रहा है, और रहवासियों की मूलभूत सुविधाएँ कागजों में ही सिमटकर रह गई हैं।
नगर पालिका का गठन हुआ था ताकि क्षेत्र के विकास को नई गति मिल सके, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही बयां कर रही है। सड़कें बनीं, लेकिन दो बरसात भी नहीं झेल पाईं। नालियाँ खोदी गईं, लेकिन गंदगी से पट गईं। स्ट्रीट लाइट्स लगाई गईं, लेकिन रोशनी से ज्यादा अंधेरा फैलाने लगीं। पानी की टंकियाँ बनीं, पर पानी नसीब नहीं हुआ।
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बजट आया, ठेकेदार खाया
’ – ऐसा लगता है कि नगर पालिका का अनौपचारिक नारा यही बन गया है। ठेकेदारों की मौज है, अधिकारियों की पौ-बारह है और आम जनता के हिस्से में सिर्फ परेशानियाँ और बदहाल व्यवस्था आई हैं।
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विकास’ का कागजी खेल
जब भी कोई शिकायत की जाती है, अधिकारी फाइलें घुमाने में इतने माहिर हो चुके हैं कि जनता की आवाज उन्हीं कागजों में दबकर दम तोड़ देती है। नगर पालिका में जो बजट आया था, वह विकास के बजाय अधिकारियों और ठेकेदारों की जेबें भरने में खर्च हो गया।
रन्नौद की जनता आज अपने आप से यही सवाल कर रही है—शिवराज जी, आपने जो सपना देखा था, क्या यह वही ‘विकसित’ नगर पालिका है? क्या यह वही जगह है, जिसे आपने अपने शासनकाल में एक नया मुकाम देना चाहा था?
आखिर जवाबदेही कौन लेगा?
रन्नौद के रहवासी अब इस भ्रष्टाचार से ऊब चुके हैं। वे जानना चाहते हैं कि जो पैसा उनके विकास के लिए आया था, वह कहाँ गया? जिन परियोजनाओं की घोषणा हुई थी, उनका क्या हुआ? और सबसे बड़ी बात—क्या कोई इन गड़बड़ियों का संज्ञान लेकर ठेकेदारों और अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा, या यह ‘नगर पालिका’ सिर्फ कागजों में चमकती रहेगी और जमीन पर धूल फाँकती रहेगी?
रन्नौद को नगर पालिका का दर्जा मिलना गौरव की बात थी, लेकिन अब यह गौरव भ्रष्टाचार की गहराइयों में डूबता जा रहा है। अब देखना यह है कि जनता की आवाज़ कब तक अनसुनी रहती है, या फिर कोई फिर से इस शहर को बचाने के लिए आगे आता है!



