
कोलारस उपजेल में कैदियों को नहीं मिल रहा है मैनुअल अनुसार भोजन: नमक-मिर्च वाला पानी बन रहा दाल, अधपकी रोटी से काट रहे सजा
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कोलारस उपजेल के हालात आज किसी डरावने सपने से कम नहीं हैं। कैदियों की मानें तो उन्हें जेल मैनुअल के अनुसार भोजन तो दूर, खाने लायक कुछ भी नहीं मिल रहा। जो भोजन उन्हें दिया जा रहा है, उसे भोजन कहना भी उचित नहीं होगा। नमक और मिर्च वाला पानी उन्हें दाल के रूप में परोसा जाता है और आधे कच्चे-आधे पके आटे की रोटी उनके पेट की आग बुझाने का साधन बनती है।
कोलारस उपजेल के हालात अभी भी जस के तस हैं। जेल से छूटे कुछ कैदियों की जुबानी सुनें तो यहां “जिसकी लाठी, उसकी भैंस” का कानून चलता है। जितना पैसा कैदी लाता है, उतना ही उसे अच्छा भोजन मिलता है। वहीं गरीब कैदियों के लिए यह जेल जीवित नरक बन गई है।
ऐसा नहीं है कि जेल में अधिकारियों द्वारा निरीक्षण नहीं होता। लेकिन जब भी निरीक्षण की खबर मिलती है, उस दिन जेल में पकवानों की बारिश हो जाती है। कैदियों के अनुसार, जब भी कोई अधिकारी आता है, तो उसे जेल की स्थिति का भ्रमित चित्र दिखाने के लिए विशेष भोजन तैयार किया जाता है।
खाना बनाने की जिम्मेदारी ज्यादातर दबंग कैदियों के हाथों में होती है। वे अपनी मर्जी का भोजन पकाते और खाते हैं, जबकि अन्य कैदियों को बेहद खराब भोजन दिया जाता है। हालात इतने खराब हैं कि कैदी भोजन की बजाय भूख से ही अपनी सजा काटने पर मजबूर हो रहे हैं।
कोलारस हलचल ने जब इस मुद्दे पर जेलर फहीम खान से बात की, तो उनका कहना था, “अभी मैं भोजन का चार्ट तैयार कर रहा हूं, आप ऑफिस आकर बात कर सकते हैं।” इससे साफ जाहिर होता है कि जेल प्रशासन के पास सवालों के ठोस जवाब नहीं हैं और हालात सुधारने की दिशा में कोई ठोस कदम भी नहीं उठाया जा रहा।
इस स्थिति में, कोलारस उपजेल के कैदियों की दुर्दशा पर सवाल उठना लाजमी है। क्या कभी इन कैदियों को इंसानियत के हक के अनुसार भोजन मिलेगा, या फिर यह नरक इसी तरह चलता रहेगा?



