
शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार: बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
स्थान: शासकीय प्राथमिक विद्यालय खरई, संकुल केंद्र लुकवासा, मध्यप्रदेश
कोलारस – आज जब पूरा देश ‘पढ़ेगा भारत, बढ़ेगा भारत’ के नारे को साकार करने में जुटा है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार और लापरवाही ने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है। शासकीय प्राथमिक विद्यालय खरई इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहां की स्थिति बेहद गंभीर और चिंताजनक है।
स्कूल में शिक्षण दिन 20 और शिक्षक केवल 2!
इस विद्यालय में कुल 43 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं, लेकिन इसके बावजूद विद्यालय महीने में महज 20 दिन ही संचालित होता है। और तो और, स्कूल की हेडमास्टर नीतू सक्सेना केवल दो घंटे उपस्थिति दर्ज करने आती हैं। ऐसे में बच्चों को गुणवत्ता वाली शिक्षा मिलना संभव नहीं है। शिक्षकों की संख्या भी आवश्यकता के अनुसार नहीं है; मात्र दो शिक्षक ही बच्चों की पढ़ाई का भार संभालने का प्रयास कर रहे हैं।
जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन की अनदेखी
किसी भी देश के भविष्य की नींव उस देश की शिक्षा प्रणाली पर निर्भर करती है। लेकिन, संकुल केंद्र लुकवासा के जिम्मेदार अधिकारी शायद इस तथ्य को भूल चुके हैं। शिक्षा व्यवस्था की इस गंभीर स्थिति पर न तो कोई ध्यान दे रहा है और न ही सुधार के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। अधिकारी वर्ग केवल कागजों में स्कूलों के संचालन को दर्शा रहे हैं, जबकि हकीकत में बच्चे उचित शिक्षा से वंचित हैं।
भ्रष्टाचार ने शिक्षा व्यवस्था को किया कमजोर
यह कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षा व्यवस्था के इस पतन के पीछे एकमात्र कारण भ्रष्टाचार है। जहां जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी आपस में मिलकर भ्रष्टाचार के माध्यम से धन कमाने में मस्त हैं, वहीं छात्रों के भविष्य को दरकिनार कर दिया गया है। इस तरह की अव्यवस्था केवल शासकीय प्राथमिक विद्यालय खरई में ही नहीं, बल्कि संकुल केंद्र लुकवासा के अधिकतर स्कूलों में व्याप्त है।
समाधान की ओर कदम बढ़ाए जिला शिक्षा अधिकारी
शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी किशोर को तत्काल प्रभाव से कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार की जड़ को उखाड़ फेंकने के लिए पारदर्शिता और अनुशासन का पालन जरूरी है। समय पर विद्यालयों का निरीक्षण और आवश्यकतानुसार शिक्षकों की संख्या बढ़ाना बेहद आवश्यक है। जब तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक ‘पढ़ेगा भारत, बढ़ेगा भारत’ का सपना अधूरा ही रहेगा।
निष्कर्ष
देश के विकास और भविष्य के निर्माण के लिए शिक्षा का मजबूत आधार होना आवश्यक है। लेकिन अगर शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार और लापरवाही का बोलबाला रहेगा, तो आने वाली पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय ही रहेगा। इसे सुधारने के लिए त्वरित कार्यवाही और कड़े कदम उठाने का वक्त आ चुका है।



