
कोलारस विधानसभा में स्कूली शिक्षा व्यवस्था चरमराई, भविष्य संकट में
सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं शिक्षा व्यवस्था के नए मापदंड
कोलारस– कोलारस विधानसभा क्षेत्र में स्कूली शिक्षा का हाल बद से बदतर होता जा रहा है। सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था लगभग ठप्प हो चली है, और अधिकारी इस गंभीर समस्या पर ध्यान देने के बजाय कानों में रूई लगाए बैठे हुए हैं। ऐसे में शिक्षकों का हाल भी निराशाजनक है, जो अपनी जिम्मेदारियों से परे सैर-सपाटे में मगन दिखाई दे रहे हैं। इसका सीधा असर उन विद्यार्थियों पर पड़ रहा है जो स्कूलों से बाहर भटक रहे हैं और उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
अफसरों की उदासीनता और शिक्षकों की लापरवाही
क्षेत्र में शिक्षा की बिगड़ती हालत के लिए सबसे बड़ा कारण अफसरों की उदासीनता और शिक्षकों की लापरवाही है। जहां अधिकारी शिक्षा सुधार के लिए ठोस कदम उठाने में विफल साबित हो रहे हैं, वहीं शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से दूर रहकर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। आए दिन स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है, और बच्चे खेलते हुए या इधर-उधर घूमते हुए दिखते हैं। स्कूलों में संसाधनों की भी कमी है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
छात्रों का भविष्य अधर में
शिक्षा की यह दुर्गति सिर्फ वर्तमान नहीं, बल्कि भविष्य को भी प्रभावित कर रही है। जिस देश को 2047 तक विकसित बनाने का सपना देखा जा रहा है, वहां के नौनिहाल शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। कोलारस जैसे इलाकों में शिक्षा का गिरता स्तर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या भारत सच में विकसित राष्ट्र बन पाएगा, अगर उसकी युवा पीढ़ी आज स्कूलों के बाहर अपना समय बर्बाद कर रही है?
क्या यही है विकसित भारत का सपना?
जब 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का सपना देखा जा रहा है, तब कोलारस जैसे इलाकों की शिक्षा व्यवस्था यह सवाल उठाती है कि क्या देश का भविष्य सही दिशा में जा रहा है? अगर आज की पीढ़ी शिक्षित नहीं होगी, तो कल का भारत कैसे आत्मनिर्भर और विकसित बनेगा?
यह आवश्यक है कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लें और ठोस कदम उठाएं, ताकि कोलारस के बच्चों का भविष्य संवार सके और देश को सही मायनों में विकसित राष्ट्र बनाया जा सके।


