
कोलारस एवं बदरवास जनपद क्षेत्र में भ्रष्टाचार की पोल खोलती इंजीनियरिंग: धरातल से सैकड़ों तालाब गायब
कोलारस एवं बदरवास जनपद क्षेत्र में सरकारी योजनाओं के अंतर्गत बनाए गए तालाबों का हाल दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों द्वारा किए गए निरीक्षण से यह खुलासा हुआ है कि क्षेत्र में सैकड़ों तालाब, जिनका निर्माण सरकार द्वारा कराया गया था, अब धरातल से गायब हो चुके हैं। इसके पीछे भ्रष्ट इंजीनियरिंग और निर्माण कार्यों में अनियमितता को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
तालाबों का अस्तित्व संकट में:
जनपद क्षेत्र में जल संरक्षण के उद्देश्य से तालाबों का निर्माण किया गया था, लेकिन यह योजना केवल कागजों तक सीमित रह गई। वास्तविकता यह है कि अधिकतर तालाबों का निर्माण मानक के अनुसार नहीं हुआ, और जिनका निर्माण हुआ भी, वे जल्द ही बर्बाद हो गए। क्षेत्र के कई गांवों में तालाब पूरी तरह से सूख चुके हैं या उनमें पानी संग्रहण की क्षमता नहीं रही है। ग्रामीणों के अनुसार, निर्माण कार्य में उपयोग की गई घटिया सामग्री और अनियमित कार्यप्रणाली के कारण तालाब लंबे समय तक टिक नहीं पाए।
भ्रष्टाचार का खेल:
सूत्रों के अनुसार, तालाब निर्माण की परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। कई तालाब केवल कागजों पर ही बने हैं, जबकि वास्तविकता में धरातल पर उनका कोई अस्तित्व नहीं है। निर्माण एजेंसियों और अधिकारियों के बीच मिलीभगत के कारण परियोजनाओं में गड़बड़ी हुई। इस भ्रष्टाचार के चलते सरकार द्वारा आवंटित बजट का दुरुपयोग हुआ और आम जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाया।
ग्रामीणों की शिकायतें अनसुनी:
स्थानीय लोग कई बार प्रशासन से शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। क्षेत्र के किसान, जो तालाबों पर निर्भर रहते थे, अब सिंचाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण उनका जीवन मुश्किल हो गया है।
आवश्यक कदम:
अब यह देखना होगा कि प्रशासन इन अनियमितताओं को लेकर क्या कदम उठाता है। क्षेत्र के लोग मांग कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार की जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, तालाबों के पुनर्निर्माण और जल संरक्षण के उपायों को प्राथमिकता दी जाए ताकि क्षेत्र की जल संकट की समस्या का समाधान हो सके।
निष्कर्ष:
कोलारस एवं बदरवास जनपद क्षेत्र में तालाबों के गायब होने की यह समस्या न केवल भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है, बल्कि क्षेत्र के जल संसाधनों पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही है। अब समय आ गया है कि जिम्मेदार अधिकारी इस मुद्दे को गंभीरता से लें और त्वरित सुधारात्मक कदम उठाएं, ताकि जनता को जल संकट से राहत मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।




