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शासकीय अस्पताल लुकवासा में मरीजों की भीड़, लेकिन चिकित्सक नदारद

उल्टी दस्त से आज एक और आदिवासी महिला की मौत

लुकवासा, 6 सितंबर: शासकीय अस्पताल लुकवासा में मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है, लेकिन चिकित्सकों की अनुपस्थिति ने क्षेत्र के लोगों की चिंता बढ़ा दी है। झोलाछाप चिकित्सकों पर प्रशासन द्वारा की गई सख्ती के बाद आदिवासी समाज के लोगों के पास इलाज के लिए कोई विश्वसनीय विकल्प नहीं बचा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि आए दिन गंभीर रूप से बीमार मरीज उचित इलाज के अभाव में अपनी जान गंवा रहे हैं।अस्पताल में उपचार के लिए लंबी कतारें देखी जा रही हैं, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को उचित चिकित्सा सेवा नहीं मिल पा रही है। कई बार मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है, और कभी-कभी तो उन्हें बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ता है।

प्रशासन की सख्ती और उसका प्रभाव
हाल ही में प्रशासन ने क्षेत्र में अवैध रूप से काम कर रहे झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की है। हालांकि, इस कदम का उद्देश्य नागरिकों को अवैध और खतरनाक चिकित्सा सेवाओं से बचाना था, लेकिन इसका प्रतिकूल प्रभाव आदिवासी समुदाय पर पड़ा है। पहले जहां ये लोग झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज के लिए जाते थे, अब वे शासकीय अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन वहां चिकित्सकों की कमी ने स्थिति और गंभीर बना दी है।

आदिवासी समाज की कठिनाई
आदिवासी समाज के लोगों के लिए यह एक बड़ा संकट बन गया है। चिकित्सा सेवाओं की कमी के कारण उन्हें दूर-दराज के अस्पतालों में जाना पड़ता है, जहां यात्रा का खर्च और समय दोनों अधिक होते हैं। कई बार आर्थिक रूप से कमजोर मरीज इस स्थिति को झेल नहीं पाते और बिना इलाज के ही अपनी जान गंवा देते हैं।

निरंतर हो रहे हैं मौत के मामले
इलाज के अभाव में आदिवासी समाज के मरीजों की मौत की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही चिकित्सकों की व्यवस्था नहीं की गई, तो स्थिति और भी खराब हो सकती है।अस्पताल प्रशासन से उम्मीद की जा रही है कि वे जल्द ही इस समस्या का समाधान करेंगे और योग्य चिकित्सकों की नियुक्ति करेंगे ताकि आदिवासी समाज के मरीजों को सही समय पर इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके।

Mukesh Singh

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