
बदरवास थानाक्षेत्र में अवैध शराब कारोबार : लाइसेंस प्राप्त दुकानों के अलावा गांव-गांव में बेची जा रही शराब, करोड़ों की हो रही है हानि
क्षेत्रीय युवाओं मैं तेजी से पनप रहा नशे का शौक,परिजन परेशान
बदरवास थानाक्षेत्र में अवैध शराब कारोबार एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। शासन को इससे करोड़ों का नुकसान हो रहा है, जबकि ग्रामीण इलाकों में शराब का अनियंत्रित प्रसार समाज के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहा है। हमारी विशेष पड़ताल में सामने आया है कि अधिकतर गांवों में लाइसेंस प्राप्त शराब दुकानों के अलावा अवैध रूप से भी शराब की बिक्री हो रही है, जिससे सरकारी राजस्व पर सीधा असर पड़ रहा है।
अवैध शराब की बिक्री का तरीका:शासन द्वारा लाइसेंस प्राप्त दुकानों से ही शराब की बिक्री की अनुमति दी जाती है, लेकिन बदरवास क्षेत्र में स्थिति बिल्कुल विपरीत है। यहां गांव-गांव में अवैध दुकानों पर खुलेआम शराब बेची जा रही है। इन अवैध दुकानों को स्थानीय गिरोह और माफिया समूह संचालित कर रहे हैं।गांवों में छोटे-छोटे ढाबे, किराना स्टोर्स और घरों के अंदर गुप्त तरीके से शराब बेची जा रही है। इन जगहों पर शराब की बिक्री रात में अधिक सक्रिय रहती है, जब पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियां कम सक्रिय होती हैं। इस धंधे में संलिप्त लोग पुलिस की छानबीन से बचने के लिए शराब को छिपाने और स्थानांतरित करने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं।
शासन को हो रही हानि:अवैध शराब की बिक्री से सरकारी खजाने को बड़ी हानि हो रही है। लाइसेंस प्राप्त दुकानों से शराब की बिक्री पर शासन को एक निश्चित प्रतिशत का कर मिलता है, जो कि अवैध शराब की बिक्री से नहीं मिलता। इससे करोड़ों रुपये का राजस्व हानि हो रही है। इसके अलावा, इस अवैध धंधे के चलते स्थानीय लाइसेंस प्राप्त दुकानदारों का व्यापार भी प्रभावित हो रहा है, जो शासन को कर के रूप में योगदान करते हैं।स्वास्थ्य और सामाजिक प्रभाव:अवैध रूप से बिकने वाली शराब न केवल शासन को राजस्व हानि पहुंचा रही है, बल्कि समाज के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है। अवैध शराब की गुणवत्ता पर कोई नियंत्रण नहीं होता, जिससे विषाक्त पदार्थों की अधिकता से जन स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसी घटनाएं पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों में सामने आई हैं, जहां नकली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो चुकी है।इसके अतिरिक्त, शराब के बढ़ते प्रसार से गांवों में अपराध, घरेलू हिंसा और सामाजिक अशांति की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। कई बार ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं में इस अवैध धंधे की लत लग जाती है, जिससे उनकी पढ़ाई-लिखाई और भविष्य प्रभावित होते हैं।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका:बदरवास क्षेत्र में पुलिस और प्रशासन द्वारा अवैध शराब के कारोबार पर अंकुश लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हमारी पड़ताल में यह भी सामने आया कि कई बार स्थानीय पुलिस पर मिलीभगत के आरोप भी लगे हैं, जिससे अवैध कारोबारियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।हालांकि, कुछ समय पहले पुलिस ने क्षेत्र में छापेमारी कर अवैध शराब की कुछ खेपें पकड़ी थीं, लेकिन इससे अवैध शराब के कारोबार पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई है। प्रशासन के पास इस समस्या से निपटने के लिए नीतिगत स्तर पर मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है।
समाधान की दिशा में संभावित कदम:अवैध शराब की बिक्री पर नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:कठोर कानून: अवैध शराब बेचने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही, स्थानीय पुलिस पर निगरानी बढ़ाई जाए।जनजागरण अभियान: ग्रामीणों को अवैध शराब के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाए।लाइसेंस प्राप्त दुकानों की संख्या में वृद्धि: सरकारी नियंत्रण वाली दुकानों की संख्या बढ़ाकर अवैध दुकानों पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।समुदाय की भागीदारी: स्थानीय लोगों को इस समस्या से निपटने के लिए साथ लाना आवश्यक है, ताकि वे अवैध शराब के खिलाफ पुलिस को सहयोग दे सकें।
निष्कर्ष:बदरवास थानाक्षेत्र में अवैध शराब का कारोबार एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल शासन को राजस्व हानि पहुंचा रहा है, बल्कि समाज के लिए भी खतरा बनता जा रहा है। इसके खिलाफ कठोर कदम उठाना और ग्रामीण इलाकों में जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि इस अवैध कारोबार पर रोक लगाई जा सके और शासन को हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सके।



