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कोलारस अनुविभाग में शिक्षा माफियाओं की करतूत: बिना परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट के कंडम वाहनों से हो रही बच्चों की ढुलाई, शासन प्रशासन की अनदेखी!

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कोलारस अनुविभाग के निजी स्कूलों में शिक्षा माफिया पूरी बेफिक्री से बच्चों की सुरक्षा को दांव पर लगा रहे हैं। बिना किसी सरकारी परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट के कंडम वाहनों में बच्चों की ढुलाई की जा रही है, जो एक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। ऐसे में बच्चों का जीवन सीधे तौर पर जोखिम में है, और शासन-प्रशासन इसे अपनी नाक के नीचे होते हुए भी बेरोकटोक देख रहा है।शिक्षा माफियाओं का बड़ा खेल:इन स्कूलों में भारी भरकम फीस लेकर बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा तो उठाया जाता है, लेकिन जब बात सुरक्षा की आती है, तो स्कूल प्रशासन की लापरवाही साफ दिखाई देती है। बिना परमिट, बिना फिटनेस सर्टिफिकेट और कंडम हालत में खड़े ये वाहन न सिर्फ कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं, बल्कि बच्चों के जीवन से भी खिलवाड़ कर रहे हैं।पालक परेशान, लेकिन कुछ कहने से हिचकिचाते:बच्चों के अभिभावक इस पूरी स्थिति से चिंतित हैं, लेकिन मजबूरी में खामोश हैं। फीस के नाम पर मोटी रकम वसूलने वाले स्कूल प्रबंधन, बच्चों की सुरक्षा की अनदेखी कर रहे हैं, जबकि पालकों के पास शिकायत करने की भी हिम्मत नहीं जुट पा रही है, क्योंकि उन्हें डर है कि उनके बच्चों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो जाए।शासन-प्रशासन की लापरवाही:कोलारस के स्थानीय प्रशासन और परिवहन विभाग की अनदेखी से यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है। बिना परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट के चलने वाले वाहनों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह सरकार और प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती है, क्योंकि बच्चों की सुरक्षा के सवाल पर इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती।क्या शासन-प्रशासन जागेगा?अब सवाल उठता है कि क्या शासन-प्रशासन इन माफियाओं पर शिकंजा कसेगा? क्या बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे? या फिर शिक्षा माफिया इसी तरह से भारत के भविष्य को जोखिम में डालते रहेंगे?पालकों और स्थानीय नागरिकों की एकजुट आवाज ही इस गंभीर समस्या का समाधान ला सकती है। अब देखना होगा कि प्रशासन इन माफियाओं पर कब तक कार्रवाई करता है और कब तक बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।यह खबर सिर्फ कोलारस ही नहीं, बल्कि पूरे देश में शिक्षा माफियाओं के खिलाफ जागरूकता फैलाने का एक प्रयास है।

Mukesh Singh

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