
# कहानी: “चोर, शोर और पुलिस का जोर”
इस कहानी को आप कोलारस के संदर्भ में भी सोच सकते हैं
कोलारास -एक छोटे से कस्बे में, जहाँ हर किसी की नज़र हर किसी पर रहती थी, वहाँ अचानक चोरी की घटनाएं बढ़ने लगीं। लोग परेशान थे क्योंकि चोर न सिर्फ लाखों की चोरी कर रहे थे, बल्कि चोरी के बाद शोर भी खूब मचा रहे थे। पर अजीब बात ये थी कि हर चोरी के बाद भी पुलिस को ये शोर सुनाई नहीं दे रहा था।
एक दिन, मस्ती-मजाक करने वाले पप्पू ने सोचा, “भाई, ये कैसे हो सकता है कि चोर चोरी कर रहा है, लोग चिल्ला रहे हैं, और पुलिस कान में रुई डालकर बैठी है?”
पप्पू ने अपने दोस्त बबलू से कहा, “चल भाई, इस पुलिस को जगाने का प्लान बनाते हैं।”
बबलू ने मुस्कुराते हुए कहा, “यार, पुलिस वालों के कान शायद शोर से नहीं, पराठों की महक से ही खुलते हैं। चलो, थाने के बाहर पराठों का ढाबा खोलते हैं।”
दोनों ने मिलकर थाने के बाहर एक पराठे का स्टॉल लगा दिया। कुछ ही देर में, पुलिसवाले पराठों की खुशबू सूंघकर बाहर आए। पप्पू ने मौका देखकर कहा, “साहब, चोरी हो रही है, शोर मच रहा है, आप सुन क्यों नहीं रहे?”
थानेदार साब ने बड़े आराम से एक पराठा खाते हुए कहा, “अरे बेटा, शोर तो हमें बहुत दूर से भी सुनाई देता है, लेकिन क्या करें, इन पराठों के स्वाद के आगे चोरों का शोर फीका पड़ जाता है।”
पप्पू ने अपनी आँखें घुमाते हुए कहा, “साहब, अगर आपने चोर नहीं पकड़े, तो अगली बार चोर आपके पराठे भी ले जाएँगे।”
थानेदार साब के हाथ से पराठा गिरते ही, वो बोले, “ये तो गंभीर मामला हो गया! अब तो चोर को पकड़ना ही पड़ेगा।”
और इसी तरह, पराठे की वजह से पुलिसवालों ने चोर पकड़ लिया। पर कस्बे में एक और मजेदार खबर फैल गई—”चोर चाहे लाखों की चोरी करे, पर पुलिसवालों के लिए पराठे की चोरी सबसे बड़ी वारदात है।”
कहानी से सीख: चोर और शोर, दोनों से बचने के लिए पुलिस को पराठे खिलाना ज़रूरी है!




