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कोलारस नगर पालिका: सपनों के सौदागर का दरबार और उपेक्षित उपाध्यक्ष

कोलारस नगर पालिका में वैश्य समाज के तीन हजार वोटों की ताकत है, पर उपाध्यक्ष रोहित वैश्य की नहीं। अब सवाल उठता है कि अगर उपाध्यक्ष की आवाज़ को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है, तो आखिर सपनों का सौदागर किस हैसियत से नगर पालिका में जनता दरबार सजाए बैठा है? क्या यह लोकतंत्र है या तानाशाही का नया रूप?

ऐसा लगता है कि कोलारस नगर पालिका में हर तरफ अव्यवस्था फैली हुई है। वार्डों में समस्याओं का ढेर लगा हुआ है, और पार्षदगण अपने कामों के लिए चीख-चीखकर सीएमओ को याद दिला चुके हैं। पर सुनने वाला कोई नहीं। वहीं नगर पालिका अध्यक्ष, जो खुद शिवपुरी में निवास करती हैं, कोलारस की जनता की पीड़ा से अंजान बनी हुई हैं। मगर सपनों के सौदागर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आखिर, उन्होंने अपने पुराने फार्मूले—”सपने बेचो, वादे तोड़ो”—को अपनाने की कसम जो खाई है।

जबकि जनता धीरे-धीरे अपने अंदर गुस्सा पालने की कला सीख रही है, सवाल यह है कि कब तक?

Mukesh Singh

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