
दहेज के लालच ने बुझाई बेटी की खुशियां, पिता ने मांगा न्याय
शादी के बाद पहली बार विदाई कराने गए ससुराल बालों ने रखी थी लाखों की मांग
कोलारस – दहेज जैसी कुप्रथा ने एक और बेटी के सपनों को कुचल दिया। यह घटना मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव अम्हेरा की है, जहां दीक्षा रघुवंशी नामक नवविवाहिता को दहेज लोभियों ने शादी के महज 12महीने बाद ही न केवल घर से बाहर निकाला, बल्कि उसकी जान लेने की भी कोशिश की। दीक्षा का जीवन तब नर्क बन गया जब उसके ससुराल वालों ने उससे और उसके पिता से दहेज की मांग करना शुरू किया।
शादी के बाद दीक्षा ने हर संभव प्रयास किया कि उसका घर खुशहाल रहे। उसने ससुराल वालों के हर अपमान और अत्याचार को सहन किया, लेकिन दहेज की मांगें खत्म नहीं हुईं। आखिरकार, जब उसने उनके अत्याचारों का विरोध किया, तो ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया। लाचार पिता नरेंद्र रघुवंशी ने अपनी बेटी को फिर से ससुराल भेजने का प्रयास किया, ताकि उसका जीवन पटरी पर आ सके। परंतु दहेज के भूखे दरिंदों का लालच यहीं नहीं रुका।
एक दिन, इन लोगों ने दीक्षा को हार्पिक पिला कर मारने की कोशिश की। वह किसी तरह बच गई, लेकिन उसके जीवन का अंधकार और गहरा हो गया। अपने पिता के साथ अस्पताल के चक्कर लगाती दीक्षा अब न्याय की उम्मीद में दर-दर भटक रही थी। शासन-प्रशासन से न्याय की उम्मीद लगाए नरेंद्र रघुवंशी हर जगह फरियाद करते रहे, लेकिन उनकी आवाज सुनी नहीं गई।
लेकिन कहते हैं कि एक महिला का दर्द केवल दूसरी महिला ही समझ सकती है। जब यह मामला लुकवासा चौकी प्रभारी शिक्षा तिवारी तक पहुंचा, तो उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप किया। शिक्षा तिवारी ने पहले दोनों परिवारों को सुलह का मौका दिया, लेकिन ससुराल पक्ष के लोगों के अहंकार और सत्ता के प्रभाव के कारण कोई हल नहीं निकला। आखिरकार, दीक्षा रघुवंशी पुत्री नरेंद्र रघुवंशी निवासी अटरुणी की शिकायत पर दहेज के लालची ससुर गुड्डा उर्फ उधम सिंह रघुवंशी, सासु गुड्डी बाई तथा पति नीलेश रघुवंशी निवासी अम्हेरा जिला अशोक नगर पर वीएनएस 85,3,4 दहेज अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
यह घटना समाज के लिए एक कड़वा सच है। दहेज जैसी कुप्रथा, जो हमारी संस्कृति का कलंक है, आज भी न जाने कितनी बेटियों के जीवन को बर्बाद कर रही है। यह खबर केवल दीक्षा की नहीं, बल्कि उन सभी बेटियों की है जो दहेज की भेंट चढ़ गईं। उन पिता की है जो अपनी बेटियों के भविष्य के लिए समाज से लड़ रहे हैं।
समाज के हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि दहेज न केवल अवैध है, बल्कि यह एक ऐसा अपराध है जो महिलाओं के जीवन को बर्बाद करता है। हमें अपनी बेटियों को मजबूत बनाना होगा और दहेज जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा। तभी हम एक बेहतर और सुरक्षित समाज की नींव रख पाएंगे, जहां हर बेटी अपने सपनों को जी सकेगी।
यह समय है कि हम बदलाव की शुरुआत करें और दहेज प्रथा का अंत करें, ताकि किसी और दीक्षा को अपने सपनों की बलि न देनी पड़े।

