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शासकीय अस्पताल कोलारस के बाहर दर्जनों मेडिकल स्टोर्स: जब सभी दवाइयां फ्री हैं, तो क्यों है इतनी भीड़?

कोलारस-शासकीय अस्पताल स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केंद्र है, जहाँ सरकार द्वारा मरीजों को कई प्रकार की मुफ्त दवाइयां उपलब्ध करवाई जाती हैं। इसके बावजूद, अस्पताल के मुख्य दरवाजे पर दर्जनों मेडिकल स्टोर्स दिखाई देते हैं, जो एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं: जब सरकारी अस्पताल में मुफ्त दवाइयां दी जा रही हैं, तो इन मेडिकल स्टोर्स की इतनी अधिक मौजूदगी क्यों है?

समस्या की जड़:
सरकारी अस्पतालों में अक्सर देखा जाता है कि सभी दवाइयां स्टॉक में उपलब्ध नहीं होतीं। कई बार जरूरी दवाइयां आउट ऑफ स्टॉक हो जाती हैं, जिसके चलते मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं। कुछ मामलों में, अस्पताल द्वारा मुफ्त दवाइयों की गुणवत्ता या वेरायटी मरीजों की जरूरत के हिसाब से पर्याप्त नहीं होती। ऐसे में मरीजों को मजबूरीवश पास के मेडिकल स्टोर्स से दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं।

डॉक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली ब्रांडेड दवाइयां:
कुछ मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि डॉक्टर सरकारी दवाइयों के बजाय ब्रांडेड दवाइयां लिख देते हैं, जो अस्पताल में उपलब्ध नहीं होतीं। इस वजह से मरीज बाहर के मेडिकल स्टोर्स पर निर्भर हो जाते हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है, जो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर सवाल उठाता है।

मेडिकल स्टोर्स की बढ़ती संख्या:
अस्पताल के आस-पास मेडिकल स्टोर्स की संख्या में इजाफा, इस बढ़ती समस्या का एक प्रमाण है। यह मेडिकल स्टोर्स अक्सर उन दवाइयों को बेचने पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो अस्पताल के अंदर उपलब्ध नहीं होतीं या जिनका ब्रांड डॉक्टर द्वारा विशेष रूप से सुझाया गया हो।

समाधान की आवश्यकता:
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी आवश्यक दवाइयां अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों, ताकि मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदने की जरूरत न पड़े। साथ ही, डॉक्टरों को केवल उन दवाइयों को लिखने के निर्देश दिए जाने चाहिए, जो अस्पताल में फ्री में उपलब्ध हों।

निष्कर्ष:
शासकीय अस्पताल कोलारस में मुफ्त दवाइयों के बावजूद बाहर दर्जनों मेडिकल स्टोर्स की मौजूदगी, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है। मरीजों को उचित और सुलभ इलाज मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि वे बिना किसी अतिरिक्त खर्च के ठीक हो सकें।

Mukesh Singh

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