
हास्यापद समाचार: चंदौरिया स्कूल – “मजदूर” उत्पादन में विश्वगुरु बनने की ओर!
जनपद शिक्षा केंद्र कोलारस के मुख्यालय से महज 4कम दूर का मामला
चंदौरिया: चंदौरिया स्कूल अब शिक्षा के क्षेत्र में नहीं, बल्कि ‘मजदूर निर्माण’ में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। स्कूल के शिक्षकों ने “शिक्षक से राजनेता बनने” की अद्वितीय उपलब्धि हासिल की है। स्कूल खुलने का समय सुबह 10:30 बजे है, परंतु शिक्षकों के आने का समय 12 बजे है। शायद स्कूल ने शिक्षा प्रणाली में “फ्लेक्सी-टाइमिंग” लागू की है, जिससे शिक्षकों को कड़ी मेहनत से बचाया जा सके।
शिक्षा का गंगाजल यहाँ कुछ ऐसा है कि स्कूल बंद होने का समय तो 4:30 बजे है, लेकिन हमारी ‘राजनेता-शिक्षक’ सेना इसे 3 बजे ही बंद कर देती है। शायद बच्चों को पहले ही ‘समय की पाबंदी’ और ‘कुशलता’ सिखाने का यह अनूठा प्रयास है। उधर, बच्चे स्कूल के बाहर ‘अपने भविष्य का निर्मित’ करने की प्रतीक्षा करते हुए, शिक्षा व्यवस्था को कोसने के साथ-साथ शिक्षा की नींव मजबूत करने की जगह, भारत के ‘विकसित होने’ के सपने को सिर्फ ‘आंखें मूंदकर’ देखने का अभ्यास कर रहे हैं।
इसे देखकर, अभिभावक भी अब सोच में पड़ गए हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को ‘पढ़ने’ के लिए भेजा था या ‘मजदूर बनने की ट्रेनिंग’ लेने। इस स्कूल का अब नया नामकरण भी हो सकता है – “चंदौरिया मजदूर-निर्माण विद्यालय”!
जैसे-जैसे यह ‘मजदूर निर्माण’ प्रकल्प आगे बढ़ रहा है, वैसा लगता है कि इस स्कूल ने ‘शिक्षा’ को नहीं, बल्कि ‘शिक्षकों’ को राजनीति के रंग में रंगने का बीड़ा उठा रखा है। शायद जल्द ही यहां से कोई ‘भावी नेता’ भी निकले जो इस अनूठी शिक्षा पद्धति को पूरे देश में फैलाए।
तो, क्या कहें इस स्कूल को? “शिक्षक से राजनेता बनने बाला स्कूल” या “मजदूर निर्माण में अग्रणी स्कूल”? जो भी हो, भारत के विकसित होने के सपने में यह स्कूल जरूर “बिगड़ते भारत” का बड़ा योगदान दे रहा है!
अब देखते हैं, कब ये ‘राजनेता-शिक्षक’ शिक्षा को अपनी राजनीति से मुक्त कर, बच्चों को शिक्षा की ओर उन्मुख करेंगे। तब तक तो यह हास्यपद मंजर चलता रहेगा और ‘मजदूर’ उत्पादन के क्षेत्र में चंदौरिया का नाम रोशन करता रहेगा!




